श्री विष्णु मंत्र, चालीसा, आरती

Shree Vishnu Mantra, Chalisa in Hindi, Aarti in Hindi

 नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

II श्री विष्णु जी के मंत्र  Shree Vishnu Mantra II

  1. ॐ नमोः नारायणाय॥
  2. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
  3. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। 
  4. मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
  5. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम् विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

श्री विष्णु चालीसा Vishnu Chalisa in Hindi

दोहा

 विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।

 कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।। 

 चौपाई

 नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥

 प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥

 सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥ 

तन पर पीतांबर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥

 शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥

 सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥

 संतभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥

 सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥

 पाप काट भव सिंधु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥

 करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥

 धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥

 भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥

 आप वराह रूप बनाया। हरण्याक्ष को मार गिराया॥

 धर मत्स्य तन सिंधु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥

 अमिलख असुरन द्वंद मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥

 देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छवि से बहलाया॥

 कूर्म रूप धर सिंधु मझाया। मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥

 शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥

 वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबंध उन्हें ढूँढवाया॥

 मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥

 असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लडाई॥

 हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥

 सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥

 तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥

 देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥

 हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥

 तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥

 गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥

 हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥

 देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥

 चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥

 जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥

 शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥

 करहुं आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण॥

 करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहु समर्पण॥

 सुर मुनि करत सदा सेवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई॥

 दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई॥

 पाप दोष संताप नशाओ। भव-बंधन से मुक्त कराओ॥

 सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ॥

 निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥ 

श्री विष्णु आरती Vishnu Aarti in Hindi

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ ...

 जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का। सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ ...

 मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी॥ ॐ ...

 तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥ ॐ ...

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।  मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ ...

 तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ ...

 दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे। करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ ...

 विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ ...

 तन-मन-धन सब है तेरा। तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा॥ ॐ ...

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।